अस्तित्व को समझना: होने का नृत्य

लेखक: अभय सिंह (IIT बाबा) आसमान बदलता है। बादल बहते हैं। रोशनी मुड़ती है, फैलती है, हर चीज़ पर नए रंग बिखेरती है। एक पक्षी उड़ता है, अपने पंखों से विशाल आकाश को चीरता हुआ। एक नदी बहती है, अपनी धारा से मौन में एक लय जोड़ती हुई। सबकुछ—सबकुछ—गति में है। लेकिन हम इसे देख…

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Decoding Being: The Dance of Existence

By Abhey Singh (IIT Baba) Ref Original Article: 9. Being – Abhey Singh The sky shifts. The clouds move. Light bends and changes, casting colors onto everything it touches. A bird flies, its wings slicing through the vastness above. A river flows, carving its own rhythm into the silence. Everything—everything—is in motion. And yet, we…

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जीवन और अभी को समझना: समय का भ्रम और वर्तमान की आज़ादी

लेखक: अभय सिंह (IIT बाबा) क्यों हम बस शांति से नहीं बैठ सकते? बिना कुछ करने, बिना कुछ बनने, बिना कुछ साबित करने? इसका जवाब आसान लगता है—“हमें पैसे कमाने हैं, हमें ज़िंदा रहना है।” लेकिन अगर आप यह पढ़ रहे हैं, तो इसका मतलब है कि आपके पास समय है। सोचने के लिए, ठहरने…

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गुरु और शिष्य को समझना: सीखने का अनंत चक्र

लेखक: अभय सिंह (IIT बाबा) गुरु और शिष्य का रिश्ता देखने में आसान लगता है—एक जानता है, दूसरा सीखता है। लेकिन क्या हो जब शिष्य वह समझ ले जो गुरु भी नहीं समझ पाया? क्या हो जब गुरु, पढ़ाते-पढ़ाते यह महसूस करे कि उसने खुद अभी तक सही मायने में नहीं सीखा? क्या शिष्य हमेशा…

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जीवन और प्रेम को समझना: अस्तित्व का नृत्य

लेखक: अभय सिंह (IIT बाबा) जीवन चलता है, प्रेम उसके साथ बहता है। एक प्रवाहित होता है, और दूसरा उसकी प्रतिक्रिया देता है। यही अस्तित्व की लय है—जीवन का संगीत। जैसे संगीत केवल सुरों का मेल नहीं, बल्कि उनके बीच की तालमेल है, वैसे ही जीवन केवल गति नहीं, बल्कि प्रयास और समर्पण के बीच…

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मोह को समझना: स्वामित्व का भ्रम और छोड़ने का डर

लेखक: अभय सिंह (IIT बाबा) मोह क्या है? पहली नज़र में, यह सीधा लगता है—हमारा लोगों, चीज़ों या विचारों से जुड़ाव। लेकिन गहराई से देखें, तो मोह सिर्फ़ एक भावनात्मक बंधन नहीं, बल्कि एक जाल है, जो हम अनजाने में अपने चारों ओर बुन लेते हैं। हम मोह इसलिए रखते हैं क्योंकि हमें आराम चाहिए।…

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