प्रेम को समझना: साथ होने का नृत्य और अस्तित्व की कला

लेखक: अभय सिंह (IIT बाबा) क्या प्रेम का मतलब अपने आप को खो देना है या खुद को अपनाना? यह एक ऐसा सवाल है जो हमें दो रास्तों में से एक चुनने को कहता है। लेकिन प्रेम कोई चुनाव नहीं है। न तो यह बलिदान है, न ही सिर्फ़ खुद को बनाए रखना—यह एक नृत्य…

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रात को समझना: प्रगति का भ्रम और इतिहास का बोझ

लेखक: अभय सिंह (IIT बाबा) मैं यहाँ तक कैसे पहुँचा? एक मन, जो पूरी मानवता के इतिहास का भार उठाए हुए है। एक चेतना, जिसे सदियों के विचारों, खो चुके शब्दों और उन धारणाओं ने आकार दिया है, जो कभी मार्गदर्शक थे लेकिन अब हमारे लिए पिंजरा बन चुके हैं। हमें सिखाया गया है कि…

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माया को समझना: अर्थ का भ्रम और अनुभव की धारा

लेखक: अभय सिंह (IIT बाबा) हर चीज़ एक भूमिका है। एक भूमिका के अंदर एक और भूमिका। एक नाटक के भीतर एक और नाटक। हम देखते हैं, हम बोलते हैं, हम सुनते हैं। लेकिन क्या हम कभी खुद से पूछते हैं—“कौन देख रहा है? कौन बोल रहा है? कौन सुन रहा है?” माया—यह सिर्फ़ बाहरी…

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अस्तित्व को समझना: होने का नृत्य

लेखक: अभय सिंह (IIT बाबा) आसमान बदलता है। बादल बहते हैं। रोशनी मुड़ती है, फैलती है, हर चीज़ पर नए रंग बिखेरती है। एक पक्षी उड़ता है, अपने पंखों से विशाल आकाश को चीरता हुआ। एक नदी बहती है, अपनी धारा से मौन में एक लय जोड़ती हुई। सबकुछ—सबकुछ—गति में है। लेकिन हम इसे देख…

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जीवन और अभी को समझना: समय का भ्रम और वर्तमान की आज़ादी

लेखक: अभय सिंह (IIT बाबा) क्यों हम बस शांति से नहीं बैठ सकते? बिना कुछ करने, बिना कुछ बनने, बिना कुछ साबित करने? इसका जवाब आसान लगता है—“हमें पैसे कमाने हैं, हमें ज़िंदा रहना है।” लेकिन अगर आप यह पढ़ रहे हैं, तो इसका मतलब है कि आपके पास समय है। सोचने के लिए, ठहरने…

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गुरु और शिष्य को समझना: सीखने का अनंत चक्र

लेखक: अभय सिंह (IIT बाबा) गुरु और शिष्य का रिश्ता देखने में आसान लगता है—एक जानता है, दूसरा सीखता है। लेकिन क्या हो जब शिष्य वह समझ ले जो गुरु भी नहीं समझ पाया? क्या हो जब गुरु, पढ़ाते-पढ़ाते यह महसूस करे कि उसने खुद अभी तक सही मायने में नहीं सीखा? क्या शिष्य हमेशा…

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जीवन और प्रेम को समझना: अस्तित्व का नृत्य

लेखक: अभय सिंह (IIT बाबा) जीवन चलता है, प्रेम उसके साथ बहता है। एक प्रवाहित होता है, और दूसरा उसकी प्रतिक्रिया देता है। यही अस्तित्व की लय है—जीवन का संगीत। जैसे संगीत केवल सुरों का मेल नहीं, बल्कि उनके बीच की तालमेल है, वैसे ही जीवन केवल गति नहीं, बल्कि प्रयास और समर्पण के बीच…

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मोह को समझना: स्वामित्व का भ्रम और छोड़ने का डर

लेखक: अभय सिंह (IIT बाबा) मोह क्या है? पहली नज़र में, यह सीधा लगता है—हमारा लोगों, चीज़ों या विचारों से जुड़ाव। लेकिन गहराई से देखें, तो मोह सिर्फ़ एक भावनात्मक बंधन नहीं, बल्कि एक जाल है, जो हम अनजाने में अपने चारों ओर बुन लेते हैं। हम मोह इसलिए रखते हैं क्योंकि हमें आराम चाहिए।…

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शांति को समझना: संघर्ष का अंत और बस होने की शुरुआत

लेखक: अभय सिंह (IIT बाबा) शांति क्या है? क्या यह संघर्ष की अनुपस्थिति है? क्या यह केवल मौन है? क्या यह ठहराव है? शांति इनमें से कुछ भी नहीं है, और फिर भी यह इन सभी का मेल है। शांति का मतलब गति को रोकना नहीं, बल्कि हर चीज़ का एकसाथ लय में चलना है।…

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डेजा वू को समझना: जीवन के चक्र और समय का भ्रम

लेखक: अभय सिंह (IIT बाबा) क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि आपको कोई स्थिति पहले भी घटी हुई महसूस हुई हो? एक अजीब-सा एहसास, जो बहुत जाना-पहचाना लगता है, लेकिन जिसे साबित करना असंभव है? यही डेजा वू है—वह रहस्यमयी अनुभव, जो यह सोचने पर मजबूर कर देता है कि क्या समय वास्तव…

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